Welcome to EbookShala, Here you can find your वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा Pdf that you finding for so long and yes for free always.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा Pdf |
![]() |
No. Of Pages: 2 |
PDF Size: 81.2 KB |
Language: Hindi |
Category: General |
Source: Ebook Team |
वास्तु सिद्धांत
सबसे पहले बात करते हैं वास्तु आचार्य की, वास्तुशास्त्र किस दिशा में बताता है कि घर बनाने के लिए कौन सी चीज उपयुक्त है।
1. जगह का चुनाव
वास्तुशास्त्र के अनुसार जब भी हम घर बनाने की सोचते हैं तो सबसे पहले हमें सही जगह का चुनाव करना चाहिए।
हमें अक्सर घर के निर्माण के लिए मिट्टी का चयन करना चाहिए जहां कम घनत्व वाली मिट्टी हो। यदि मिट्टी में मिट्टी का घनत्व कम होगा तो ऊपर बना घर बहुत मजबूत होगा। क्योंकि वह ठीक से बैठ पाएगा। अधिक मिट्टी होने के कारण यह ठीक से बैठ नहीं पाता और इसकी जड़ें कमजोर हो जाती हैं।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी भूमि का आकार आयताकार या वर्गाकार यानि आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। वास्तुशास्त्र में इसे बहुत अच्छा माना गया है। त्रिभुजाकार गोले जैसा कोई अन्य आकार का मैदान सर्वश्रेष्ठ नहीं माना जाता है।
नक्शा या घर शुरू करने से पहले अपनी जमीन के चारों किनारों को ठीक से नाप लें। ऐसा करने से आपका नक्शा और सटीक हो जाएगा।
2. दिशा की जानकारी
घर बनाने से पहले जमीन की सभी दिशाओं को जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर आपको दिशाओं की जानकारी नहीं होगी, तो आप वास्तुशास्त्र के अनुसार अपने घर का नक्शा नहीं बना पाएंगे।
पहले के समय में दिशा जानने का कोई साधन नहीं था। लेकिन आज हमारे पास एक कंपास है जिससे हम अपनी जमीन की दिशाओं के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब भी हम कंपास का उपयोग करते हैं तो हमें सावधान रहना चाहिए क्योंकि कंपास किसी भी लोहे या चुंबक से सही दिशा से विचलित हो सकता है।
3. वास्तु पुरुष को समझना
हमारी भूमि की दिशा जानने के बाद वास्तु पुरुष को समझना बहुत जरूरी हो जाता है। वास्तु पुरुष को समझे बिना हम वास्तुशास्त्र को नहीं समझ सकते।
वास्तु पुरुष सभी दिशाओं में फैले ऊर्जा विकिरण का प्रतिनिधित्व करता है। कौन सी दिशा किस दिशा में है, यह समझकर ही हम घर पर कुछ भी बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि हमें अग्नि की दिशा का ज्ञान है, तो उस दिशा में अग्नि तत्व से संबंधित कुछ भी घटित होगा।
नीचे दिए गए चित्र से आप देख सकते हैं कि इसमें 32 प्रकार की ऊर्जाएँ दिखाई गई हैं। अब जिस दिशा में ऊर्जा त्रिज्या इंगित की गई है, उस दिशा में उसी ऊर्जा त्रिज्या से जुड़े किसी भी तत्व की कोई वस्तु हो सकती है।

घर का नक्शा बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
वास्तुशास्त्र हमें घर बनाने के लिए जरूरी सभी जरूरी चीजों की जानकारी देता है। जैसे कि घर की जमीन क्या है, मकान किस दिशा में होगा।
घर का नक्शा बनाते समय निम्नलिखित वस्तुओं को एक ही दिशा में रखना कभी भी गलत नहीं होता है। घर की प्रगति अथक है। इसलिए घर का नक्शा बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें।
1. मुख्य द्वार
जो भी घर बन रहा है उसका नक्शा बनाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा मुख्य द्वार किस दिशा में होगा.
- अगर हमारे घर का सामना उत्तर या पूर्व दिशा में है तो मुख्य द्वार के लिए हमें बहुत विचारने की जरूरत नहीं है. मुख्य द्वार को हम उत्तर या पूर्व दिशा में ही कर सकते हैं.
- घर का मुख पश्चिम दिशा में होने पर भी हमें प्रयास करना चाहिए की घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही हो. इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होने से वास्तु दोष नहीं लगता है. अगर इन दिशाओं में घर का मुख्य द्वार होना संभव ना हो तभी मुख्य द्वार को पश्चिम दिशा में करें.
- अगर आपके घर का मुख दक्षिण दिशा में है तो फिर भी यही प्रयास करना चाहिए की घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही हो. अगर ऐसा संभव ना हो तभी घर का मुख पश्चिम दिशा में करें.
घर का मुख्य द्वार कभी भी घर के बीच में नहीं होना चाहिए। यह या तो दाईं ओर कुछ इंच या बाईं ओर कुछ इंच है। मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़ नहीं होना चाहिए। घर का मुख्य दरवाजा बनाने के लिए सभी जरूरी बातों के बारे में मैंने नीचे एक लेख में बताया है।
मेन गेट बनाने की सबसे खास बात यह है कि हम अपने प्लॉट को 9 हिस्सों में बांटते हैं। यह मानते हुए कि हमारा प्लॉट 45 फीट लंबा है, हम इसे 9 से विभाजित करेंगे।
अब नीचे दिए गए चित्र को देखें और अच्छे से समझें.

पश्चिम दिशा की लंबाई के 9 भाग
इस चित्र में हमने अपने घर की लंबाई को 9 भागों में बांट दिया है. अब जानें कि किस हिस्से में हम अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं.
पहले हिस्से में – प्रथम भाग के स्थान को पिता का स्थान कहते हैं। इस स्थान पर दरवाजे नहीं लगाने चाहिए। अक्सर देखा गया है कि इस जगह पर चटाई लगाने से हमारे जीवन में पैसों की कमी हो सकती है।
दूसरे हिस्से में– दूसरे भाग में भी मुख्य द्वार की स्थापना बहुत शुभ नहीं कही गई है। यहां मुख्य द्वार स्थापित करने से न केवल धन की कमी होती है बल्कि परिवार में सुख-शांति भी कम होती है। यह भी कहा जा सकता है कि पारिवारिक शत्रु बढ़ सकते हैं।
तीसरे हिस्से में– तीसरे भाग को सुग्रीव का स्थान कहा गया है। तो यह वह जगह है जहाँ आप अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं। इस भाग में मुख्य द्वार रखने से निश्चित ही धन में वृद्धि होती है। जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।
चौथे हिस्से में – इस स्थान को फूलों का स्थान कहा जाता है। यहां आप अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं। यहां मुख्य द्वार लगाने से आपके धन और संतान दोनों में वृद्धि हो सकती है।
पांचवे हिस्से में – इस भाग को वरुण का भाग कहा जाता है। इस भाग में मुख्य द्वार की स्थापना सबसे उत्तम मानी जाती है। घर के पांचवें हिस्से में दरवाजा लगाने से घर में कभी भी धन, सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है।
छठवें हिस्से में– छठे भाग को दैत्य का स्थान कहा गया है। यहां मुख्य द्वार स्थापित करने से धन की वृद्धि होती है लेकिन भाग्य ज्यादा मदद नहीं करता है। इसलिए यदि आपके पास तीसरे, चौथे और पांचवें भाग में मुख्य द्वार स्थापित करने का विकल्प नहीं है तो आपको अपने घर के मुख्य द्वार को छठे भाग में स्थापित करना चाहिए।
वास्तुशास्त्र में सातवें, आठवें और नौवें भाग को सर्वश्रेष्ठ नहीं माना गया है। इन जगहों पर घर का मुख्य द्वार होने से घर में बीमारियों का आगमन होता है। सुख-समृद्धि का नाश होता है। इसलिए भूल जाने पर भी हमें अपने घर का मुख्य द्वार इन तीन भागों में नहीं लगाना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का नक्शा (Vastu Naksha For Home) बनाते वक़्त दिशाओ (Vastu Direction For Home) का ध्यान रखा जाता है।जो कि बहुत जरुरी होता है |
ऐसा करने से आपके घर का हर कोना दिशाओं के अनुकूल बनता है। इससे फायदा यह होता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा हमेशा बानी रहती है।
Vastu Anusar Ghar Ka Naksha :

अगर आप वास्तुशास्त्र (Vastu Shashtra In Hindi) के अनुसार घर का नक्शा नहीं बनवाते है तो आपकी और आपके परिवार की मुसीबतें बढ़ जाती है। घर के कोने दिशाओ के हिसाब से नहीं बनते है।
इस वजह से घर में हमेशा नकारात्मक ऊर्जा बानी रहती है। घर में सुख-शांति और सुख-समृद्धि कभी भी नहीं आती है। घर में रहने वालों की उन्नति में भी रुकावट आती है। इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाया जाना जरूरी है।
तो चलिए अब जानते है की वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा (Vastu Shastra For Home) कैसा होना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाए (Direction Accroding Vastu Shahstra) :

वास्तु अनुसार 9 दिशाएं होती है। इनमे से 8 दिशा होती है और 1 मध्य दिशा होती है।
इस मध्य दिशा की बहुत एहमियत होती है। वास्तु अनुसार घर का मध्य स्थान उसमे रहने वाले लोगों के जीवन पर बहुत ही गहरा असर करता है।
दक्षिण दिशा करियर से संब्धित होती है।
दक्षिण–पश्चिम दिशा ज्ञान और बुद्धिमता से संब्धित होती है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा इंसान के पारिवारिक रिश्तों से संब्धित होती है।
वास्तु अनुसार उत्तर दिशा सामाजिक सम्मान से संब्धित होती है।
उत्तर पश्चिम दिशा का संबंध धन और समृद्धि से जुड़ा होता है।
उत्तर पूर्व दिशा प्यार और पति-पत्नी के रिश्ते से संब्धित होती है।
घर की पूर्व दिशा बच्चों से संब्धित होती है। यह दिशा बच्चों के स्वास्थय और सोच को प्रभावित करती है।
दक्षिण पूर्व दिशा आपके करीबी लोगों से संब्धित होती है। यह वो लोग है जो आपकी हमेशा सहायता करते है।
दिशाओं के साथ वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा (Vastu Shastra For Home) :
वास्तु अनुसार कैसे करें भूमि का चयन (Vastu Tips For Plot) :

घर बनाने के लिए भूमि का चयन (Land As Per Vastu In Hindi) करना सबसे ज्यादा महत्व रखता है।क्यूंकि शुरुआत तो वहीं से होती है। भूमि कैसी है और भूमि कहां है यह देखना बहुत जरूरी होता है।
यदि भूमि वास्तु अनुसार है तो आपके घर का वास्तु आपको और भी अच्छे फल देगा। घर बनाने के लिए प्लाट या फॉर्म हाऊस खरीदते वक्त वास्तु का ध्यान रखें|
- आपका मकान बनाने की जमीन मंदिर के पास है तो अति उत्तम। थोड़ा दूर है तो मध्यम और जहां से मंदिर नहीं दिखाई देता वह निम्नतम है।
- मंदिर के एकदम पीछे नहीं बल्कि दाएं-बाएं या सामने हो।
- उस शहर में हो जहां 1 नदी, 5 तालाब, 21 बावड़ी और 2 पहाड़ हो।
- जमीन पहाड़ के उत्तर की ओर हो।
- शहर के पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा में हो।
- जमीन के सामने तीन रास्ते न हों।
- सामने खंभा न हो।
- ईशान और उत्तर दिशा को छोड़कर कहीं भी कुंवा या पानी का टैंक नहीं हो।
- आप जिस जमीन को खरीद रहे है वह वर्गाकार होनी चाहिए अर्थात जिसकी लम्बाई और चौड़ाई एक बराबर और कोने समकोणीय हो | यह जमीन सबसे बेहतर होती है |
- आयताकार जमीन जिसकी चौड़ाई एक सामान और कोने 90 डिग्री के हो उसे भी खरीद सकते है|
- कभी भी त्रिकोणीय जमीन नहीं ख़रीदे |
भूखण्ड (जमीन) की लम्बाई चौड़ाई वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Plot Size) :
किसी भूखण्ड (जमीन) की चौड़ाई से उसकी लम्बाई (1 अनुपात 2 ) अधिकतम डबल हो सकती है इससे जयादा लम्बाई वाले भूखण्डों (जमीन) को शुभ नही माना जाता।

उदाहरण के लिए 30 बायी 60 का भूखण्ड (जमीन) शुभ होता है पर 30 बायी 80 की साइज़ शुभ नही मानी जाती।
क्या है कारण
भूखण्ड के ईशान कोण (Ishaan Kon) से शुभ ऊर्जा तरंगें प्रवाहित होकर नैऋत्य कोण तक पहुँचती हैं इसलिए वर्गाकार व चौड़ाई से डबल लम्बाई वाले भूखण्ड को ही शुभ माना जाता है क्यों की ऐसे भूखंड पर बने घर में ऊर्जा का प्रवाह तीव्र व ज्यादा होता है।
जैसे जैसे चौड़ाई से लम्बाई बढ़ती जाती है ईशान कोण से प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को नैऋत्य कोण (Nairitya Kon) तक पहुँचने में ज्यादा समय लगता है व इससे ऊर्जा का प्रवाह भी क्षीण हो जाता है| इसलिय ऐसा भूखण्ड शुभ नही होता।
क्या है उपाय
अगर ऐसे किसी भूखण्ड पर निर्माण करना पड़े तो आगे व पीछे ज्यादा जगह छोड़कर निर्माण की चौंडाई से उसकी लम्बाई, डबल से ज्यादा नही रखें अर्थात रेल के डिब्बे की तरहं घर नही बनायें।
वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार (Vastu Tips For Main Gate) :

घर के मुख्य दरवाजे पर मांगलिक चिन्ह जैसे – ऊँ या स्वास्तिक का प्रयोग करना चाहिए। घर में मुख्य दरवाजे जैसे अन्य दरवाजे नहीं बनाने चाहिए | मुख्य दरवाजे को फल, पत्र, लता आदि के चित्रों से सजाना चाहिए।
घर के मुख्य दरवाजे के लिए पूर्व दिशा सबसे अच्छी और सही है। इस दिशा में मुख्य दरवाजे का होने से घर में समृद्धि हमेशा रहती है।आप उत्तर दिशा में भी मुख्य दरवाजा बना सकते है |
पूर्व दिशा इसलिए क्यूँकि सूर्य पूर्व से निकलता है और पश्चिम में अस्त होता है। उत्तर दिशा इसलिए क्यूँकि उत्तरी ध्रुव से आने वाली हवाएं हमारे लिए अच्छी होती हैं|
घर को बनाने से पहले हवा,ध्वनि और प्रकाश के आने के रास्तों पर ध्यान अव्यश देना चाहिए ।
मुख्य दरवाजे को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।क्यूंकि दक्षिणी ध्रुव से आने वाली हवाएं अछि नहीं होती है। ऐसा होने से घर में रहने वालों की मुश्किलें बढ़ती है।
अगर आपका दरवाजे इस दक्षिण दिशा में है तो आपको वास्तु निवारण के उपाय अपनाने चाहिए।
मुख्य दरवाजे के सामने कोई पेड़ और बिजली का खम्बा नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार के दरवाजे तिराहा और चौराहा नहीं चाहिए। यह हमेशा नकारात्मकता ही फैलाता है।
घर का आंगन वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Home Garden) :

अगर आपके घर में आंगन नहीं है तो आपका घर अधूरा है। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही पर आंगन जरूर बनाए।पुराने समय में घरों में बहुत बड़े-बड़े आंगन बनाए जाते थे। लेकिन अब शहरो में जयादा जगह नहीं होती इसके चलते आंगन अब नहीं बनाने जाते। अगर आपके घर में आंगन नहीं है तो समझो आपके बच्चे का बचपन भी नहीं है।
घर के आंगन में तुलसी, आंवला , कड़ी पत्ते का पौधा, नीम, अनार, जामफल आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाले फूलदार और फलदार पौधे अव्यश लगाए।
घर के आँगन में पौधों का महत्व (Vastu Tips For Plant) :

तुलसी का पौधा हवा को शुद्ध काके कैंसर जैसे बड़ी बिमारियों को मिटाता है।
अनार का पौधा खून बढ़ाने के साथ ही वातावरण को सकारात्मक रखने का कार्य करता है।
कड़ी पत्ते नियमित खाने से आंखों की रोशनी अच्छी रहती है वहीं बाल काले ,घने और चमकदार रहते हैं|
आंवला का पौधा शरीर को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
यदि घर में नीम का पौधा लगा है तो आपके और आपके परिवार के जीवन में किसी भी प्रकार का कोई रोग और शोक नहीं आएगा।
इसके अलावा घर के दरवाजे के आगे रोज रंगोली बनाएं तथा आंगन की दीवारों और जमीन पर मांडने अवश्य मांडें।
मांडने से घर में लक्ष्मी और शांति आती है| शास्त्रों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में 1 पीपल, 1 नीम, 10 इमली, 3 कैथ, 3 बेल, 3 आंवला और 5 आम के वृक्ष(पेड़) लगाए है,तो वह पुण्यात्मा होता है | उसे कभी नरक के दर्शन नहीं करने पड़ते है।
स्नानघर और शौचालय वास्तु के अनुसार (Toilet Vastu Tips In Hindi) :
घर में टॉयलेट (शौचालय) और बाथरूम (स्नानघर) बनाते वक्त वास्तु का सबसे विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसके वास्तु दोष के कारण घर का वातावरण बिगड़ सकता है। स्नानघर और शौचालय दोनों ही स्थानों को ज्योतिष में राहु और चंद्र की शरारत का स्थान माना गया है। स्नानगृह (बाथरूम) में चंद्रमा का तथा शौचालय (टॉयलेट) में राहू का वास होता है।

टॉयलेट (शौचालय) और बाथरूम (स्नानघर) कभी भी एक साथ नहीं बनाने चाहिए क्यूंकि चंद्र और राहू का एक साथ होने का मतलब चंद्रग्रहण होता है। यदि ऐसा होता है तो इस घर में हमेशा कलह बना रहेगा।
बाथरूम वास्तु (Vastu Tips For Bathroom) :

स्नानगृह (बाथरूम) में नल को पूर्व या उत्तर की दीवार पर लगाना चाहिए जिससे नहाते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहे।
पूर्व में उजालदान होना चाहिए।
दर्पण (आयना) बाथरूम की उत्तर या पूर्वी दीवार में लगाना चाहिए। आयना दरवाजे के ठीक सामने नहीं होन चाहिए।
बाथरूम में वॉश बेसिन ईशान या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
गीजर और स्विच बोर्ड आदि अग्नि कोण में होना चाहिए। इन्हें स्नानगृह (बाथरूम) में दक्षिण पूर्व या उत्तर की दिवार पर लगाना चाहिए।
बाथटब को इस प्रकार रखना चाहिए कि नहाते समय पैर दक्षिण दिशा में न रहे ।
बाथरूम की दिवारों और टाइल्स का रंग आसमानी, सफेद ,हल्का नीला, या गुलाबी होना चाहिए।
टॉयलेट वास्तु (Vastu Tips For Toilet) :

घर के नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) कोण में अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना शौचालय का होना उत्तम है।
इसके अलावा शौचालय के लिए वायव्य कोण तथा दक्षिण दिशा के मध्य का स्थान भी वास्तु शाश्त्र में अच्छा माना गया है।
शौचालय में शौच में बैठते समय मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा में होन चाहिए।
शौचालय की नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए शौचालय में एक्जास्ट फेन लगवाना चाहिए और इसका उपयोग करना चाहिए|
बाकि अन्य व्यवस्थाएं शौचालय में बाथरूम के समान ही होनी चाहिए।
विशेष :
नल से पानी का टपकना वास्तु शास्त्र में आर्थिक नुकसान का कारण माना गया है।
जिनके घर में टॉयलेट (शौचालय) और बाथरूम (स्नानघर) जल की निकासी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होती है उन्हें कई तरह के संकट का सामना करना पड़ता है।
उत्तर एवं पूर्व दिशा में घर के जल की निकासी को वास्तु शास्त्र में शुभ माना गया है।
घर में पूजाघर वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Temple) :

घर में पूजाघर का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है। पूजाघर से ही हमारे मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है तो यह स्थान बनवाते समय बहुत ध्यान रखें | आपकी आय इस बात पर निर्भर करती है कि घर में पूजाघर कहां है।
लाल किताब के विशेषज्ञ (Lalkitab Specialist) से पूछकर ही घर में पूजाघर बनवाएं अन्यथा आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वास्तु की नजर से पूजाघर घर के बहार बनाया जाना चाहिए। लेकिन बदलते वकत के साथ और जगह की कमी की वजह से पूजाघर घर के अंदर ही बनाया जाने लगा है |
यदि पूजाघर वास्तु के अनुसार बनाया जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है।
घर में पूजाघर ईशान कोण में होना चाहिए। मूर्तियां या फोटो इस तरह से रखनी चाहिए कि वे आमने-सामने न हों बल्कि एक ही दिशा में होनी चाहिए।
पूजाघर में गुम्बद, ध्वजा, कलश, त्रिशूल या शिवलिंग इत्यादि नहीं रखने चाहिए।
भगवान की मूर्तियां बार अंगुल से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए।
शयन कक्ष में कभी भी पूजाघर नहीं होना चाहिए। लेकिन यदि शयनकक्ष में पूजाघर बनाना मजबूरी हो तो उसे पर्दे से ढककर रखना चाहिए।
पूजाघर के लिए सफेद, हल्का पीला अथवा हल्का गुलाबी रंग शुभ होता है।
वास्तु के अनुसार भगवान के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिशा में पूजाघर स्थापित करें।
यदि आपका पूजाघर किसी ओर दिशा में हो तो वास्तु दोष से बचने के लिए पानी पीते समय मुंह ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
पूजाघर के ऊपर या नीचे शौचालय(टॉयलेट) या रसोईघर नहीं होना चाहिए।
सीढ़ियों के नीचे पूजाघर कभी नहीं बनवाना चाहिए।
मंदिर हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर होना चाहिए।
पूजा कमरा खुला और बड़ा बनवाना चाहिए।
घर की सीढियाँ वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Stairs) :
सीढ़ियां घर में नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती हैं | इसका सीधा असर घर के लोगों पर पड़ता है। यहाँ तक गलत सीढिया होने से एक्सीडेंट भी हो सकते है|

Stairs Direction According Vastu :
वास्तु के अनुसार घर की सीढियाँ उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर ( उत्तर दिशा से शुरू होकर दक्षिण दिशा में खत्म होनी चाहिए) होना चाहिए अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
घर में सीढ़ियां हमेशा नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम), दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। नैऋत्य दिशा में सीढ़ियां होना अति उत्तम माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। वहीं उत्तर-पश्चिम दिशा में भी सीढ़ियों का निर्माण किया जाता है।
कभी भी घर के मुख्य दरवाजे के सामने, उत्तर दिशा या ईशान कोण में सीढ़िया नहीं बनानी चाहिए। इससे घर के सदस्यों के हाथ से अच्छे मौके छूट जाते हैं और आय भी घटती है। इससे घर में रहने वाले लोगों में हार्ट संबंधित समस्या भी हो सकती है।
सीढ़ियां को हमेशा विषम संख्या जैसे सात, ग्यारह, पंद्रह, उन्नीस या फिर इक्कीश आदि में बनाना चाहिए। विषम संख्या की सीढ़ियां घर में खुशियां बनाए रखती हैं | घर के मालिक के विकास और लोकप्रियता में भी वृद्धि होती है। वैसे घर में 17 सीढ़ियां बहुत ही शुभ मानी जाती हैं।
सीढ़ियों के नीचे कभी भी किचन, बाथरूम या फिर फिश-एक्वेरियम नहीं होना चाहिए। कोशिश करें कि ये सभी सीढ़ियों के निचे ना हो। इससे घर वालों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है और घरवालों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। धन इकट्ठा करने में काफी परेशानी होती है। सीढ़ियों के नीचे कभी भी जल से संबंधित कोई चीज नहीं होना चाहिए।
अगर सीढ़ियां गलत दिशा में हैं तो कुछ उपाय बताए गए है। आप सीढ़ियों पर स्टोन पिरामिड रख सकते हैं। यह पिरामिड गलत सीढ़ियों के वास्तु दोष को खत्म करके और नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देता है।
घर की सीढ़ियां हमेशा चौड़ी और अच्छी रोशनी वाली बनाना चाहिए | सीढ़ियों के शुरुआत और आखिरी में दरवाज़ा अवश्य होना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कभी भी जूते-चप्पल या फिर अन्य कोई भी बेकार का सामान नहीं रखा होना चाहिए। ऐसा करने से घर के बच्चे के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है और मकान मालिक की परेशानिया भी बढ़ती है।
घर के अंदर बनी सीढ़ियां कभी भी किचन, स्टोर रूम या पूजा घर के आखिर से शुरू नहीं होनी चाहिए और घर के बीचोबिच नहीं होना चाहिए |
सीढ़ियां हमेशा घड़ी की दिशा में मुड़नी चाहिए| सीढ़ियों पर गहरे रंग न लगाए|
वास्तु शास्त्र के अनुसार राइट एंगल पर झुकते हुए स्क्वेयर और रैक्टैंगुलर सीढ़ियां, सर्वोत्तम होती हैं|
शयन कक्ष (बेडरूम) वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Bedroom) :
शयन कक्ष से हमारा मतलब बेडरूम से है | हमारे घर की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण जगह है। हमारा बेडरूम सुकून और शांतिभरा होना चाहिए। कई बार बेडरूम में सभी सुविधाएं होने के बाद भी चैन की नींद नहीं आती है। इसका कारण बेडरूम में वास्तु दोष का होना है यानि आपका बेडरूम गलत जगह बना हुआ है।

घर का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा में होना चाहिए।
अगर घर में ऊपरी मंजिल है तो बेडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना बहुत ही शुभ होता है।
बेडरूम में सोते समय सिर हमेशा दीवार से सटाकर सोना चाहिए।
पैरो को दक्षिण और पूर्व दिशा में करने कभी नहीं सोना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ की होता है।
पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से शरीर की थकान मिटती है और नींद अच्छी आती है।
सोने वाले बिस्तर के सामने आईना कभी न लगाएं। इससे पति पत्नी में हमेशा झगडे होते रहते है |
बेडरूम के दरवाजे के सामने कभी पलंगनहीं लगाना चाहिए।
डबलबेड के गद्दे अलग अलग नहीं होने चाहिए।
बेडरूम में देवी-देवताओं या पूर्वजों के चित्र कभी भी नहीं लगाने चाहिए।
पलंग दक्षिणी दीवारों से सटाकर लगा होना चाहिए।
सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में करके सोना चाहिए| पूर्व दिशा की ओर ज्ञान प्राप्ति के लिए तथा दक्षिण दिशा की ओर धन प्राप्ति के लिए सिर करके सोना चाहिए।
बेडरूम में दरवाजे की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए।
दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए।
दरवाजे आवाज नहीं करना चाहिए।
पलंग का आकार चौकोर होना चाहिए।
पलंग की छत के बीम के नीचे नहीं होना चाहिए।
लकड़ी से बना पलंग बेडरूम में रखना चाहिए। लोहे से बने पलंग नहीं रखें |
रात को सोते समय नीले रंग का लैम्प जलना चाहिए।
सिरहाने के पास पानी का जग या पानी का गिलास रखकर नहीं सोना चाहिए।
कमरे के मुख्य दरवाजे के सामने वाली दीवार के बाएं कोने में धातु की कोई चीज लटकाए। वास्तु के अनुसार यह स्थान भाग्य और संपत्ति का होता है।
यदि दीवार में दरारें हों तो उसकी मरम्मत तुरंत करवाए। दीवारों का कटा होना आर्थिक नुकसान का कारण रहता है।
बेडरूम में आने पर शांति और खुशहाली का आभास होना चाहिए| यह सुखमय और खुशहाल जीवन के लिए अच्छा होता है।
प्यार भरा माहौल बनाये रखने के लिए फूलो और पति पत्नी की कुछ सुन्दर फोटो लगाई जा सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक सामन रखने की दिशा (Vastu Tips For Electronic Items):

घर में दक्षिण दिशा वास्तु के अनुसार आग की दिशा मानी जाती है, इसलिए इस दिशा में कभी भी इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान नहीं रखा जाना चाहिए। आप दक्षिण पश्चिम दिशा में अपने इलेक्ट्रॉनिक्स सामन जैसे टेलीफोन, टीवी आदि रख सकते है यह निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।
स्टडी रूम या अध्ययन कक्ष वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Study Room) :

इस कमरे के लिए पूर्व , उत्तर , ईशान और पश्चिम उचित दिशाए है।
अध्ययन करते समय दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार से सटाकर पूर्व तथा उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
पीठ के पीछे दरवाज़ा या खिड़की न हो। छत बीम के नीचे न बैठे।
इस कमरे का ईशान कोण खाली होन चाहिए ।
घर में पढ़ने का स्थान ईशान या पश्चिम मध्य में होना चाहिए।
पढ़ते समय इस तरह बैठे कि मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए ।
किताब रखने की अलमीरा दक्षिणी दीवार या पश्चिम दीवार पर रखनी चाहिए।अलमीरा कभी भी नैऋत्य या वायव्य कोण में नहीं रखनी चाहिए।
इस कमरे का रंग हल्का आसमानी,हल्का हरा, सफेद या बादामी रखना अच्छा होता है।
किचन वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Kitchen ) :
रसोई का स्थान घर में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। अगर हम भोजन अच्छा करते हैं तो हमारा दिन भी बहुत अच्छा गुजरता है। यदि किचन का निर्माण सही दिशा में नहीं किया गया है तो परिवार के लोगों को भोजन से पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार (Kitchen Appliance Vastu Tips In Hindi) किचन का गैस, चूल्हा,फ्रीज़ ,मिक्सी और ओवन किस दिशा में रखने चाहिये जिससे घर में सुख शांति बनी रहे।

रसोई के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्वी दिशा होता है, जो कि अग्निदेव का स्थान होता है।
उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा उपयुक्त स्थान है।
उत्तर या पूर्व में बैठकर भोजन करना चाहिए।
भोजन हमेशा किचन में ही बैठकर करें।
खनन बनाते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
बरतन, मसाले, राशन आदि पश्चिम दिशा में रखें होना चाहिए।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए।
सिंक तथा गैस की स्लैब जुडी हुई नहीं होनी चाहिए।
किचन में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए।
काले रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए।किटचे की दीवारों पर हरा, पीला,क्रीम या गुलाबी रंग कर सकते है।
पीने का पानी, फ़िल्टर, एक़्वागॉर्ड उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
किचन में गैस या चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
फ्रिज पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रख है।
बर्तन, क्रॉकरी आदि पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
रसोईघर में पूजाघर नहीं होना चाहिए।
खाने की मेज (डाइनिंग टेबल) को किचन में नहीं रखना चाहिए। रखना मजबूरी है तो उत्तर-पश्चिम दिशा में रख सकते है ताकि भोजन करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में हो।
ड्राइंग रूम वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Drawing Room) :

इस कमरे में फर्नीचर, शो केस तथा अन्य भारी वस्तुएं दक्षिण-पश्चिम दिशा या नैऋत्य में रखनी चाहिए।
यहाँ बैठते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
इस कमरे में फाउंटेन या अक्वेरियम रखना हो तो उत्तर-पूर्व कोण में रख सकते है।
टीवी दक्षिण-पश्चिम या अग्नि कोण में राखी जा सकती है।
इस कमरे में आप पूर्वज के फोटो दक्षिण या पश्चिमी दीवार पर लगा सकते है |
दीवारों का हल्का नीला, आसमानी, पीला, क्रीम या हरे रंग का होना चाहिए |
दरवाजा वास्तु के हिसाब से पूर्व दिशा में और दूसरा दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
खिड़की उत्तर दिशा, पश्चिमी दिशा में या फिर उत्तर-पूर्व कोने में ही होनी चाहिए।
Vastu Tips For Home Area :
पोर्च / बालकनी वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Bolcony) :

स्वास्थ्य, धन और खुशी के लिए ये सभी घर के उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाओ में होना चाहिए|
कारों के लिए गैरेज वास्तु के अनुसार (Vastu Tips For Car Parking) :

इसके लिए सबसे अच्छी जगह दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम है | उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम हिस्से नौकरों, कार पार्किंग आदि के लिए इस्तेमाल किये जा सकते है।
ओवर हेड टैंक वास्तु के अनुसार (Vastu Shastra For Over Head Tank) :

उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में ओवरहेड टैंक बनाया जा सकता है। क्यूंकि इसमें ऊंचाई पर वजन होता है इसलिए दक्षिण-पश्चिम सबसे अच्छी दिशा है।
स्विमिंग पूल वास्तु के अनुसार (Vastu Shastra For Swimming Pool) :

स्विमिंग पूल बनाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे सही है।
पानी के टैंक (Septic Tank) की दिशा (Vastu Shastra For Underground Water Tank) :

जल संग्रहण का स्थान ईशान कोण में बनाएं| ईशान कोण उत्तर-पूर्वी दिशा में होता है।
कहाँ लगाएं पेड़ :

वृक्षारोपण के बारे में वास्तु अवधारणाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि ये आपके घर को सिर्फ सुंदर बनाने के लिए नहीं, आपके लिए लाभदायक भी बने।
बाहरी गेट्स (Vastu Shastra For Home Out Gate):

आम तौर पर उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशाओं में फाटक होना शुभ माना जाता है।पूर्व या उत्तर दिशा बाहरी गेट रखने के लिए सबसे अच्छा है।
Important Vastu Shastra For Home :

- मुख्य दरवाज़ा 4 ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा में से किसी 1 दिशा में हो।
- घर के सामने और पीछे आंगन हो जिसके बीच में तुलसी का पौधा लगा हो।
- घर के सामने या आसपास तिराहा-चौराहा नहीं होना चाहिए।
- दरवाजा दो पट का होना चाहिए यानि बीच में से अंदर खुलने वाला।
- दरवाजे की दीवार पर दाएं तरफ ‘शुभ’ और बाएं तरफ ‘लाभ’ लिखना चाहिए। 6. घर के मुख्य दरवाज़े के ऊपर स्वस्तिक या ‘ॐ’ की लिखे या रेडीमेट लगाएं।
- आग्नेय कोण में किचन, ईशान में पूजाघर ,नैऋत्य कोण में शौचालय, दक्षिण में भारी सामान रखने का स्थान आदि हो।
- बहुत सारे देवी-देवताओं के फोटो या मूर्ति न रखें।
- घर के कोने और ब्रह्म स्थान (बीच का स्थान) हमेशा खाली रखें।
- छत में उजालदान न रखें।
- घर मंदिर के आसपास होना चाहिए इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- किसी भी प्रकार की नकारात्मक वस्तुओं न रखें और अटाला भी इकट्ठा न करें।
- सीढ़ियां विषम संख्या (5, 7, 9) में होनी चाहिए।
- घर के ऊपर केसरिया झंडा लगाए।
- किसी भी तरह के नकारात्मक पौधे न लगाए।
- घर में टूटे बर्तन और कबाड़ को जमा करके रखने धन वृद्धि में बाधा आती है।
प्रत्येक दिशा में क्या होना चाहिए (Vastu Shastra Disha For Home IN Hindi) :

उत्तर दिशा :
इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होना चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि घर का द्वार इस दिशा में है और अति उत्तम।
दक्षिण दिशा :
दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुला स्थान , शौचालय(टॉयलेट) आदि नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रख सकते है। यदि इस दिशा में दरवाज़ा या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी और ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएग। इससे घर कलश बढ़ेगा।
पूर्व दिशा :
पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे माकन में प्रवेश करती हैं। यदि घर का दरवाज़ा इस दिशा में होता है तो उत्तम होता है। आप इस दिशा में खिड़की भी रख सकते हैं।
पश्चिम दिशा :
आपका किचन या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। किचन और टॉयलेट पास- पास न हो, इसका भी खास ख्याल रखें।
How to Download वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा Pdf?
Downloading वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा Pdf is very easy. You can easily download the pdf on your smartphone/desktop by following the steps given below. To download the pdf, follow the points given below.
- Now click on the given download link
- Wait a few seconds after clicking on the link. Your phone/desktop will start downloading वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा Pdf in a short time.
- After downloading, click on the PDF file and open it in default pdf viewer.